दिल्ली की ये संस्था Tetra Pak के साथ मिलकर बदल रही है कूड़ा बीनने वाले परिवारों का जीवन

विकास की गाथा लिखने के लिए समाज के निचले तबके से जुड़े लोगों का विकास करना बहुत जरूरी है। बाल विकास धारा इसी कोशिश में पिछले 25 सालों से लगी हुई है और लगभग एक दशक से Tetra Pak कंपनी उसकी मदद कर रही है। सफाई साथी देश के कूड़ा प्रबंधन की रीढ़ की हड्डी होते हैं। आज सारी दुनिया इस बात को मानती है, और देश की तरक्की में हम उनके महत्व का आंकलन शायद ही कर पाएं।

कार्ट्न्स से बढ़ती है आमदनी और बच्चों को मिलती है शिक्षा

कूड़ा बीनने वाले व्यस्क श्रमिकों को दूध, जूस इत्यादि के कार्टन्स के मूल्य और महत्व के बारे में बताने के लिए बाल विकास धारा और Tetra Pak मिलकर पिछले कई वर्षों से जागरूकता अभियान चला रहे हैं। दरअसल, पहले कूड़ा बीनने वाले श्रमिक Tetra Pak के कार्ट्न्स को रद्दी में बेच देते थे, जिससे उन्हें ज्यादा मुनाफा भी नहीं होता था। लेकिन बाल विकास धारा जब Tetra Pak से जुड़ी, तब उन्हें लगा कार्ट्न्स का बहुत महत्व है और इसको रद्दी में नहीं बेचना चाहिए। बाल विकास धारा के संस्थापक देवेंद्र बराल कहते हैं, “सन 2011 में बाल विकास धारा और Tetra Pak जब एक साथ एक मंच पर आए, तब दोनों ने फैसला किया कि वो कार्टन्स के मूल्य और महत्व के बारे में श्रमिकों को समझाएंगे। इससे कार्ट्न्स को बेचकर श्रमिकों की आमदनी बढ़ेगी और उनके परिवार की स्थिति भी सुधरेगी। अतिरिक्त आय को ये श्रमिक परिवार कल्याण और बच्चों की शिक्षा पर खर्च करेंगे। यही हमारा मिशन बन गया।”  दरअसल Tetra Pak के पैकेट्स या कार्टन्स को आसानी से रीसाइकिल किया जा सकता है। इसे रद्दी में बेचने के बजाय अलग से छांट के रीसाइक्लिंग सेंटर भेजा जाए, तो कूड़ा बेचने वालों को ज्यादा मुनाफा होता है।

सफाई साथियों के बच्चों के हाथों में कलम, कॉपी और किताब

“घर से मस्जिद है बहुत दूर, चलो यूं कर लें किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाये” – निदा फाजली की ये कविता बाल विकास धारा संस्था पर सटीक बैठती है, जहां सफाई साथी जो एक हाशिए पर रहने वाला समुदाय है, उनके बच्चों के हाथों में कलम, कॉपी और किताब थमाकर उनके भविष्य को सुधारा जा रहा है। बतौर संस्था बाल विकास धारा सफाई साथियों के परिवारों के रोजगार, उनकी आय, स्वास्थ्य और उनके बच्चों की शिक्षा पर काम करती है। NCR में इनके कुल 6  केंद्र हैं, जहां 300 से अधिक बच्चे पढ़ते हैं।

इन बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए बाल विकास धारा दिल्ली और NCR में कूड़ा बीनने वाले परिवारों के बच्चों को चिन्हित करती है और उनके भविष्य को सुधारने व उनमें शिक्षा की अलख जगाने के लिए काम करती है। इसके लिए बच्चों के माता-पिता से बात की जाती है और उन्हें शिक्षा के महत्व के बारे में समझाया जाता है। बाल विकास धारा और Tetra Pak का उद्देश्य न केवल बच्चों को शिक्षा से जोड़ना है, बल्कि ये बच्चे सरकारी/निजी स्कूलों में दाखिला ले पाएं, इसके लिए अकादमिक रूप से उन्हें सक्षम भी बनाया जाता है। ताकि वो शिक्षा के पथ पर अपनी यात्रा की शुरुआत कर सकें। जो बच्चे घर की जरूरतों के चलते स्कूल छोड़ देते हैं। उन्हें इन सेंटर्स की मदद से वापस सरकारी स्कूलों के लिए तैयार करके दाखिला दिलाया जाता है। दूसरी ओर दाखिले के बाद इन बच्चों को ट्यूशन दी जाती है, ताकि वो स्कूल में बने रहें और पढ़ाई में पिछड़ ना जाएं। जब बच्चे शिक्षा की ओर रुख करेंगे, तो संभव है कि वे बाल श्रम जैसी कुरीतियों से खुद को दूर भी रख पाएंगे

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

ବିଜ୍ଞାପନ ବାକ୍ସ (ଦୟାକରି ବିଜ୍ଞାପନ ପାଇଁ ଯୋଗାଯୋଗ କରନ୍ତୁ)


ଦୟାକରି ଉତ୍ତର ଦିଅ |

क्या आप मानते हैं कि कुछ संगठन अपने फायदे के लिए बंद आयोजित कर देश का नुकसान करते हैं?

View Results

Loading ... Loading ...


Related Articles

Back to top button
Close
Website Design By Bootalpha.com +91 84482 65129